सभी से राज़ दिल के खोलने में देर लगती है।
नए इंसान को पहचानने में देर लगती है ॥
बड़ा धोका दिया उसने बढ़ा के हाथ धीरे से,
किसी का हाथ अब तो थामने में देर लगती है॥
बड़ा मुश्किल रक़ीबों को हबीबों से अलग करना,
पराया और अपना आँकने मे देर लगती है॥
वो इतनी बार बोला झूठ कि एतबार खो बैठा,
सही भी बात अब तो, मानने में देर लगती है॥
पिलाएगी तुझे “सूरज” या फिर तड़पा के मारेगी,
इरादे साक़ी के तो जानने में देर लगती है॥
डॉ॰ सूर्या बाली "सूरज"
नए इंसान को पहचानने में देर लगती है ॥
बड़ा धोका दिया उसने बढ़ा के हाथ धीरे से,
किसी का हाथ अब तो थामने में देर लगती है॥
बड़ा मुश्किल रक़ीबों को हबीबों से अलग करना,
पराया और अपना आँकने मे देर लगती है॥
वो इतनी बार बोला झूठ कि एतबार खो बैठा,
सही भी बात अब तो, मानने में देर लगती है॥
पिलाएगी तुझे “सूरज” या फिर तड़पा के मारेगी,
इरादे साक़ी के तो जानने में देर लगती है॥
डॉ॰ सूर्या बाली "सूरज"
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